प्रस्तावना
भारतीय इतिहास में मौर्य साम्राज्य (Maurya Empire) का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। यह भारत का पहला विशाल और शक्तिशाली साम्राज्य था, जिसने लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया। इसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में की थी और इसका विस्तार अशोक महान के समय चरम पर पहुँचा।
मौर्य साम्राज्य का उदय (Rise of the Maurya Empire)
मौर्य साम्राज्य की स्थापना 322 ईसा पूर्व में हुई थी। इसके उदय के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण थे:
1. नंद वंश का पतन
- नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद को एक क्रूर और अयोग्य शासक माना जाता था।
- उसके अत्याचारों से जनता असंतुष्ट थी, जिसका लाभ चंद्रगुप्त मौर्य ने उठाया।
2. चाणक्य (कौटिल्य) का मार्गदर्शन
- चंद्रगुप्त मौर्य को चाणक्य (विष्णुगुप्त या कौटिल्य) ने मार्गदर्शन दिया, जिन्होंने अर्थशास्त्र नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की।
- चाणक्य ने चंद्रगुप्त को एक शक्तिशाली सेना तैयार करने और नंद वंश को उखाड़ फेंकने में सहायता की।
3. सिकंदर के आक्रमण के बाद की राजनीतिक अराजकता
- 326 ईसा पूर्व में सिकंदर के आक्रमण के बाद पश्चिमोत्तर भारत में शक्ति शून्यता उत्पन्न हो गई थी।
- चंद्रगुप्त ने इस अवसर का लाभ उठाकर अपना साम्राज्य स्थापित किया।
मौर्य साम्राज्य के प्रमुख शासक (Major Rulers of the Maurya Empire)
मौर्य साम्राज्य ने लगभग 137 वर्षों (322 ईसा पूर्व से 185 ईसा पूर्व) तक शासन किया। इस दौरान कई महान शासक हुए:
1. चंद्रगुप्त मौर्य (322–298 ईसा पूर्व)
- मौर्य साम्राज्य के संस्थापक।
- सेल्यूकस निकेटर को पराजित कर मेगस्थनीज को अपने दरबार में आमंत्रित किया।
- जैन धर्म अपनाकर श्रवणबेलगोला में संन्यास लिया।
2. बिंदुसार (298–273 ईसा पूर्व)
- चंद्रगुप्त के पुत्र, जिन्हें “अमित्रघात” (शत्रुओं का संहारक) कहा जाता था।
- उनके दरबार में डायमेकस नामक यूनानी राजदूत आया था।
3. अशोक महान (273–232 ईसा पूर्व)
- मौर्य साम्राज्य का सबसे प्रसिद्ध शासक।
- कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व) के बाद बौद्ध धर्म अपनाया।
- धम्म का प्रचार किया और पूरे एशिया में बौद्ध धर्म फैलाया।
4. अंतिम शासक (बृहद्रथ)
- अशोक के बाद मौर्य साम्राज्य कमजोर हो गया।
- 185 ईसा पूर्व में सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने बृहद्रथ की हत्या कर शुंग वंश की स्थापना की।
मौर्य साम्राज्य का प्रशासन (Administration of the Maurya Empire)
मौर्य साम्राज्य का प्रशासन अत्यंत व्यवस्थित था। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में इसका विस्तृत विवरण मिलता है।
1. केंद्रीय प्रशासन
- राजा सर्वोच्च शासक होता था, लेकिन उसकी सहायता के लिए मंत्रिपरिषद होती थी।
- मंत्रियों को अमात्य कहा जाता था।
2. प्रांतीय प्रशासन
- साम्राज्य को प्रांतों, जिलों और गाँवों में बाँटा गया था।
- प्रमुख प्रांत: तक्षशिला (उत्तर), उज्जयिनी (पश्चिम), सुवर्णगिरि (दक्षिण), तोसली (पूर्व)।
3. न्याय व्यवस्था
- राजकीय न्यायालय और ग्राम पंचायतें होती थीं।
- दंड व्यवस्था कठोर थी, लेकिन अशोक ने धम्म के अनुसार न्याय करना शुरू किया।
4. गुप्तचर व्यवस्था
- गुप्तचर (स्पाई) साम्राज्य की सुरक्षा और जासूसी के लिए नियुक्त किए जाते थे।
मौर्य साम्राज्य की अर्थव्यवस्था (Economy of the Maurya Empire)
मौर्य काल में अर्थव्यवस्था कृषि, व्यापार और कर प्रणाली पर आधारित थी।
1. कृषि
- सिंचाई के लिए नहरें और कुँए बनाए गए।
- मुख्य फसलें: गेहूँ, चावल, कपास, गन्ना।
2. व्यापार एवं उद्योग
- रेशम मार्ग से विदेशी व्यापार होता था।
- लोहा, हथियार, कपड़ा और मिट्टी के बर्तन प्रमुख उद्योग थे।
3. कर प्रणाली
- भाग (1/6 उपज), बलि, शुल्क आदि कर लगाए जाते थे।
मौर्य साम्राज्य का पतन (Fall of the Maurya Empire)
मौर्य काल में कला और संस्कृति का विकास हुआ।
1. स्थापत्य कला
- अशोक के स्तंभ (जैसे सारनाथ स्तंभ)।
- बौद्ध स्तूप (साँची, बरहुत)।
2. साहित्य
- कौटिल्य का अर्थशास्त्र।
- बौद्ध एवं जैन ग्रंथ।
3. धर्म
- अशोक ने बौद्ध धर्म को राजकीय संरक्षण दिया।
मौर्य साम्राज्य का पतन (Fall of the Maurya Empire)
मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण:
- अशोक की अहिंसक नीतियाँ सेना को कमजोर कर दीं।
- उत्तराधिकारी कमजोर थे।
- प्रांतीय विद्रोह बढ़ गए।
- आर्थिक संकट ने साम्राज्य को कमजोर किया।
निष्कर्ष
मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है। चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर अशोक महान तक, इस साम्राज्य ने भारत को एक सशक्त और संगठित रूप दिया। यदि आप प्राचीन भारत के इतिहास में रुचि रखते हैं, तो Hindi Indian पर हमारे अन्य लेख जैसे गुप्त साम्राज्य, सातवाहन वंश और कुषाण साम्राज्य भी जरूर पढ़ें।
इस लेख को अपने दोस्तों के साथ साझा करें और हमें कमेंट में बताएं कि आपको मौर्य साम्राज्य के बारे में क्या जानकारी सबसे रोचक लगी!