You are currently viewing पुरुगुप्त: उत्तरवर्ती गुप्त शासकों की कड़ी | विस्तृत इतिहास – Hindi Indian

पुरुगुप्त: उत्तरवर्ती गुप्त शासकों की कड़ी | विस्तृत इतिहास – Hindi Indian

प्रस्तावना:

गुप्त साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्वपूर्ण साम्राज्य था, जिसकी स्थापना तीसरी सदी में हुई थी। इस साम्राज्य ने भारतीय संस्कृति, विज्ञान, कला और प्रशासन में अभूतपूर्व योगदान दिया। इस लेख में हम चर्चा करेंगे पुरुगुप्त के शासनकाल की, जो उत्तरवर्ती गुप्त शासकों में एक प्रमुख नाम है। Hindi Indian पर प्रस्तुत यह लेख इतिहास प्रेमियों के लिए विस्तृत जानकारी प्रदान करता है

🧬 वंशानुक्रम और प्रमुख शासक

🧬 वंशानुक्रम_और_प्रमुख-शासक

✦ पुरुगुप्त (Purugupta)

  • शासन काल: लगभग 467 – 473 ईस्वी
  • वंश: गुप्त वंश
  • पिता: कुमारगुप्त प्रथम (देखें Kumaragupta I – Hindi Indian)
  • भाई: स्कंदगुप्त (Skandagupta)

पुरुगुप्त, गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम के पुत्र थे और स्कंदगुप्त के पश्चात सिंहासन पर आसीन हुए। उनका शासनकाल अल्पकालिक था परंतु ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था क्योंकि उनके बाद गुप्त साम्राज्य के विघटन की शुरुआत हुई।

🏛️ शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ

🏛️ शासनकाल_कीप्रमुख_घटनाएँ
  • स्कंदगुप्त की मृत्यु के बाद साम्राज्य में अस्थिरता आई।
  • पुरुगुप्त ने अपने पिता कुमारगुप्त की परंपराओं को आगे बढ़ाया लेकिन प्रशासनिक नियंत्रण में कमी देखी गई।
  • हूणों के हमले जारी रहे जिससे साम्राज्य की सीमाएं कमजोर हुईं।

प्रशासन में गिरावट के कारण:

  • उत्तराधिकार का स्पष्ट उत्तराधिकारी नहीं होना।
  • प्रांतों में स्थानीय शक्तियों का उदय।
  • राजस्व की कमी और सैन्य खर्चों में वृद्धि।

🌍 पुरुगुप्त के शासन का भूगोलिक विस्तार

🌍 पुरुगुप्त_के_शासन_का_भूगोलिक-विस्तार
  • मध्य भारत और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों तक ही उनका प्रभाव सीमित रहा।
  • उत्तर पश्चिमी भारत में हूणों का प्रभाव बढ़ता जा रहा था।

📜 स्रोत और अभिलेख

📜 स्रोत_और_अभिलेख

पुरुगुप्त के बारे में जानकारी हमें मुख्यतः ताम्रपत्र शिलालेखों और उत्कीर्ण मुद्राओं से प्राप्त होती है।

  • भीतरी (Bhitari) शिलालेख से पता चलता है कि वह स्कंदगुप्त के बाद राजा बने।
  • नालंदा अभिलेख में उनका नाम उल्लेखित है।

🧠 विचारधारा और धर्म

🧠 विचारधारा_और-धर्म
  • पुरुगुप्त वैदिक धर्म और ब्राह्मणवादी परंपराओं में विश्वास करते थे।
  • गुप्त राजाओं की तरह इन्होंने भी ब्राह्मणों को दान दिया और यज्ञ-हवन में विश्वास रखा।

👑 उत्तराधिकारी और आगे की पीढ़ी

👑 उत्तराधिकारी_और_आगे_की-पीढ़ी

पुरुगुप्त के पश्चात उनके पुत्र नरसिंहगुप्त बलादित्य ने सिंहासन संभाला। बलादित्य का काल धार्मिक दृष्टि से प्रसिद्ध रहा क्योंकि उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के विकास में योगदान दिया। Narasinghagupta Baladitya – Hindi Indian पर विस्तृत जानकारी पढ़ें।

🧩 अन्य संबंधित शासक:

  • कुमारगुप्त द्वितीय (Kumaragupta II): विस्तृत जानकारी
  • बुद्धगुप्त (Buddhagupta): पढ़ें पूरा लेख
  • विष्णुगुप्त (Vishnugupta): जानें विस्तार से

🔚 निष्कर्ष:

पुरुगुप्त का शासनकाल गुप्त साम्राज्य के उत्तरार्ध की प्रारंभिक अवस्था को दर्शाता है। वे एक ऐसे शासक थे जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में शासन किया और उनके बाद उत्तरवर्ती गुप्त शासकों का दौर शुरू हुआ। यदि आप गुप्त वंश के इतिहास को गहराई से समझना चाहते हैं, तो Hindi Indian की अन्य पोस्ट भी ज़रूर पढ़ें।

📢 Call to Action:

गुप्त साम्राज्य और अन्य ऐतिहासिक शासकों पर ऐसे ही रोचक और प्रामाणिक लेख पढ़ने के लिए विज़िट करें Hindi Indian। अपने ज्ञान को बढ़ाएं और भारत के गौरवशाली इतिहास से जुड़ें!

Suggested Internal Links:

Leave a Reply